Wednesday 4 January 2012

 िजसकी धुन पर दुिनया नाचे,
िदल एक ऐसा इकतारा है,
जो हमको भी प्यारा है और,
जो तुमको भी प्यारा है.

 झूम रही है सारी दुिनया,
जबिक हमारे गीतों पर,
तब कहती हो प्यार हुआ है,
क्या अहसान तुम्हारा है.

जो धरती से अम्बर जोड़े ,
उसका नाम मोहब्बत है ,
जो शीशे से पत्थर तोड़े ,
उसका नाम मोहब्बत है ,

कतरा कतरा सागर तक तो ,
जाती है हर उमर मगर ,
बहता दिरया वापस मोड़े ,
उसका नाम मोहब्बत है .

पनाहों में जो आया हो,
तो उस पर वार क्या करना ?
जो दिल हारा हुआ हो,
उस पे फिर अिधकार क्या करना ?
मुहब्बत का मज़ा तो
डूबने की कशमकश में हैं,
 जो हो मालूम गहराई,
तो दिरया पार क्या करना ?

बस्ती बस्ती घोर उदासी पर्वत पर्वत खालीपन,
मन हीरा बेमोल बिक गया िघस िघस रीता तनचंदन,
इस धरती से उस अम्बर तक दो ही चीज़ गज़ब की है,
एक तो तेरा भोलापन है एक मेरा दीवानापन.

तुम्हारे पास हूँ लेिकन जो दूरी है समझता हूँ,
 तुम्हारे िबन मेरी हस्ती अधूरी है समझता हूँ,
तुम्हे मै भूल जाऊँगा ये मुमिकन है नही लेिकन,
तुम्ही को भूलना सबसे ज़रूरी है समझता हूँ

Wafa!


गुलशन की फक़त फूलों से नहीं काटों से भी ज़ीनत होती है,
 जीने के िलए इस दुिनया में गम की भी ज़रूरत होती है.

ऐ वाइज़-ए-नादां करता है तू एक क़यामत का चर्चा,
यहाँ रोज़ िनगाहें मिलती हैं यहाँ रोज़ क़यामत होती है.

वो पुर्िशश-ए-गम को आए हैं कुछ कह ना सकूँ चुप रह ना सकूँ
खामोश रहूं तो मुश्किल है कह दूं तो िशकायत होती है.

करना ही पड़ेगा ज़ब्त-ए-अलम पीने ही पड़ेंगे ये आँसू,
फरियाद-ओ-फूग़ान से ऐ नादां तौहीन-ए-मोहब्बत होती है.

जो आके रुके दामन पे ‘सबा’ वो अश्क़ नहीं है पानी है,
जो अश्क़ ना छल्के आँखों से उस अश्क़ की कीमत होती है.

Jo beet gyi so baat gyi

जीवन में एक  िसतारा था
माना वह बेहद प्यारा था
वह डूब गया तो डूब गया
अंबर के आंगन को देखो
िकतने इसके तारे टूटे
िकतने इसके प्यारे छूट
जो छूट गये िफ़र कहां िमले
पर बोलो टूटे तारों पर
कब अंबर शोक मनाता है
जो बीत गई सो बात गई

जीवन में वह था एक कुसुम
थे उस पर िनत्य िनछावर तुम
वह सूख गया तो सूख गया
मधुबन की छाती को देखो
सूखी िकतनी इसकी किलयां
मुरझाईं िकतनी वल्लिरयां
जो मुरझाईं िफ़र कहां िखली
पर बोलो सूखे फ़ूलों पर कब
मधुबन शोर मचाता है
जो बीत गई सो बात गई

जीवन में मधु का प्याला था
तुमने तन मन दे डाला था
वह टूट गया तो टूट गया
मिदरालय का आंगन देखो
िकतने प्याले िहल जाते हैं
िगर िमट्टी में िमल जाते ह
ैं जो िगरते हैं कब उठते हैं
पर बोलो टूटे प्यालों पर कब
मिदरालय पछताता है
जो बीत गई सो बात गई

मृदु िमट्टी के बने हुए हैं
मधु घट फ़ूटा ही करते हैं
लघु जीवन ले कर आए हैं
प्याले टूटा ही करते हैं
फ़िर भी मिदरालय के अन्दर
मधु के घट हैं मधु प्याले हैं
जो मादकता के मारे हैं
वे मधु लूटा ही करते हैं
वह कच्चा पीने वाला है
िजसकी ममता घट प्यालों पर
जो सच्चे मधु से जला हुआ कब
रोता है िचल्लाता ह
ै जो बीत गई सो बात गई

Friday 21 October 2011

Ghar ki yadein


Kaun aayega yahan?
Na koi aaya hoga..
Mera darwaja hawaon ne hilaya hoga
Dil-e-nadan na dhadak
Koi khat leke padosi ke ghar aaya hoga
Gul se lipti hui titali ko gira kar dekho
Aandhiyon tumne darakhto ko to giraya hoga
Aye ABHI,pardes mei mat yaad karo apna makan
Ab tak to barisho ne use tod giraya hoga.......